Question answer with baba ji
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Question answer with baba ji |
Sawal Jawab hazur ji ke bare bhe
बाबा जी और हुजूर जी की प्यारी साथ संगत जी राधा स्वामी जी 23 नवंबर को question answer huye,
पहला किसी ने सवाल किया कि बाबा जी मैं लाडली बिगड़ी बेटी हूं मालिक ने सभी मेरी इच्छाएं पूरी की हैं आप जी मुझे अब सब्र भी बख्श दो ,बाबा जी ने कहा बेटा जब भी जब से हम इस संसार में आए हैं मालिक हमें देता ही आ रहा है हमें तो बस मालिक की दी हुई चीज की कदर करनी है फिर कई बार सोचते हैं कि मालिक से हमने मांगना है मांगने की जरूरत है मालिक से मांगने की जरूरत नहीं मालिक तो सब जानता है हमें तो जो दिया है उसकी कदर करनी है ,फिर किसी ने सवाल किया कि बाबा जी हम सही करते हैं लेकिन फिर भी गलती हो जाती है बाबा जी कहते बेटा हमने सीखना है और मालिक ने हमें इसीलिए यहां पर भेजा है क्योंकि हम 100% तो परफेक्ट नहीं है कोई भी हम में से 100% परफेक्ट नहीं है लेकिन हम गलतियों से सीखेंगे तभी तो आगे बढ़ेंगे हमें यहां पर खड़े होकर सिर्फ माफी ही नहीं मांगनी बल्कि जो गलती की है उससे सीखना है और आगे बढ़ना है फिर किसी ने सवाल किया कि बाबा जी कर्ज लेते हैं जब बैंक से तो कई बार कर्ज नहीं पूरा चुका सकते तो लास्ट में बैंक के साथ सेटलमेंट जैसे हो जाती है तो कुछ पैसे जो रह जाते हैं तो बाबा जी क्या इससे भी कोई कर्म बनते हैं तो बाबा जी ने कहा बेटा एक-एक चीज का हिसाब किताब होता है बाबा जी कहते बेटा अगर हमारे ऊपर कर्मों का बोझ बढ़ गया तो फिर हमारे से उठाया नहीं जाएगा फिर एक बहन ने सवाल पूछा कि बाबा जी आप जी ने हजूर को ही हमारे लिए क्यों चुना तो बाबा जी ने हजूर की तरफ देखते हुए बाबा जी ने उनसे पूछा कि क्यों चुना है भाई उसके बाद फिर बाबा जी कहते किसी को तो चुनना ही था बाबा जी कहते जेड़ा सामने आ गया उनको चुन लिया फिर किसी ने सवाल किया कि बाबा जी स्वामी जी महाराज जी का एक शब्द आता है शब्द शब्द से जाए मिलाए वाला जो कि हमारे कर्मों की जिसमें की बात की गई है शब्द कर्म की रेख मिटाए शब्द शब्द से जाए मिलाए तो क्या बाबा जी हम अपने कर्म खत्म कर सकते हैं बाबा जी कहते बेटा एक जन्म तो क्या कई जन्म भी अगर हम ले लेंगे तो हम कर्मों को खत्म नहीं कर सकते यह तो मालिक की बख्श है कि वह हम पर दया करें और बख्श ले हमें तो सिर्फ अपना जो बर्तन गंदा है उसको साफ रखने की कोशिश करनी है फिर किसी ने सवाल किया कि बाबा जी मेरा कोई सवाल नहीं है शब्द ही गुरु है बाबा जी शब्द सुनाई देता है कई बार कोई और धुन सुनाई देने लगती है बाबा जी कैसे पता करें कि कौन सा शब्द सुनना है कौन सी धुन सुननी है बाबा जी कहते बेटा हमें परख नहीं करनी अगर हम परक करते हैं तो नीचे इंद्रियों की तरफ आ जाते हैं हमें तो जो भी शब्द सुनता है हमने तो उसी डायरेक्शन में जाना है उस शब्द को सुनना है फिर किसी ने सवाल पूछा कि बाबा जी सतगुरु के दर्शन करना तो ऊंची अवस्था होती है कई बार पीछे भागते हैं तो सेवादार हटा देते हैं बाबा जी क्या करना चाहिए यह सवाल पूछा था कि कई बार जैसे सत्संग सुन रहे होते हैं तो जो भजन सिमरण करने लग जाते हैं और बीच में से कई बार वह हिलते हैं डलते हैं तो सेवादार उठा देते हैं इसके बारे यह सवाल था तो बाबा जी ने समझाया सेवादारों का मकसद अलग अवस्था के ऊपर होता है बाबा जी कहते कई बार हमारा ज्यादा जब जिस्म हिलता है तो कोशिश तो यही करनी चाहिए कि उसको उठा देना चाहिए बाबा जी कहते अगर साइलेंस उसकी सुरत चढ़ रही है तो चढ़ने दो बाबा जी कहते इससे जैसे कि वह ज्यादा हिल रहा हो तो उससे उसको भी अगर वह गिर जाता है चोट लग सकती है तो दूसरों का भी जो ध्यान है वह उसका उनकी तरफ खींचा चला जाता है तो ध्यान करने में सत्संग सुनने में कठिनाई फिर होती है फिर किसी ने सवाल किया कि बाबा जी हम जो सेवा करते हैं कई बार व किसी और को मिल जाती है तो क्या हमें कहना चाहिए इसके बारे कुछ तो बाबा जी ने कहा बेटा हमें तो खुश होना चाहिए बाबा जी कहते कभी वह सेवा हमको मिल गई कभी किसी दूसरे को हमें तो खुश होना चाहिए फिर किसी ने सत्संग के बारे पूछा बाबा जी जो सत्संग सुनने नहीं आते क्या उनका नुकसान होता है बाबा जी कहते कि बेटा हमने यहां पर हाजरी लगाने नहीं आना हमने तो जो बातें समझाई जाती हैं उस पर अमल करना है और बेटा मेरा काम तो है समझाना मानना या फिर ना मानना यह तो आपके ऊपर सब होता है फिर किसी ने कसम के बारे पूछा कि बाबा जी कसम जो उठाते हैं क्या वह लगती है तो बाबा जी ने इसके बारे यही समझाया कि जो हम निभा नहीं सकते तो हमने इसके बीच मालिक को क्यों लाकर खड़ा करना है कहने का मतलब यही था कि हमें कसमें नहीं बीच में लानी चाहिए फिर किसी ने कहा कि बाबा जी मुझे डर बहुत लगता है बाबा जी कहते बेटा किसी हद तक डर का होना भी जरूरी है महाराज जी भी समझाया करते थे कि जो एक ऐसी स्त्री होती है जो अपने पति का डर रखती है तो वह डर के साथ कोई भी ऐसा काम नहीं करती जिससे कि उसका पति उससे नाराज हो डर के पीछे प्यार की भी भावना छिपी हुई होती है इसलिए बेटा किसी हद तक डर का होना भी जरूरी है अगर मालिक का डर होगा तो हम बुरे कर्मों से बचेंगे मालिक से प्रेम होगा तभी तो डर भी होता है फिर किसी ने पूछा कि बाबा जी अगर थोड़ी बात हो तो मेरे दिल पर लग जाती है मन पर लग जाती बाबा जी ने कहा बेटा ज्यादा सोचने से बोझ भी तो हम पर ही पड़ता है अगर तो बोलने से आपका मन हल्का होता है आपको लगता है कि किसी को जवाब दे देना चाहिए तो ठीक है अगर आप नहीं इन बातों को अपने मन पर लगाते तो इससे आपका ही बोझ कम होगा हमें इन छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने ऊपर और ज्यादा परेशानी नहीं लानी चाहिए फिर एक बहन ने सवाल किया कि बाबा जी शादी के लिए जो कुंडलियां देखते हैं तो क्या बाबा जी वह सही होती हैं बाबा जी कहते आप क्या सोचते हो बाबा जी से वह बहन कहती कि बाबा जी मैं तो नहीं समझती फिर बाबा जी ने कबीर साहब की उदाहरण देखकर समझाया कि जिस ने किसी की बेटी की जो कुंडलियां देखता है जो कुंडली देखता है उसकी खुद की बेटी तो विधवा बैठी थी तो क्या उसने अपने खुद की घर की कुंडली नहीं देखी थी फिर बाबा जी ने कहा हमारा एक प्रधानमंत्री हुआ करता था जो कि प्रधानमंत्री बनने के लिए फॉर्म भरने के लिए गया कुंडली दिखाकर गया था लेकिन फिर भी वह हार गया तो फिर वह बहन कहती बाबा जी आप हमारे सेंटर पर जरूर आना बाबा जी कहते बेटा अभी कुंडली में नहीं लिखा तो संगत बहुत बाबा जी का यह जवाब सुनकर हंसने लगी फिर किसी ने कहा बाबा जी मैं वापस नहीं आना चाहता आप मुझे कुछ बताइए तो बाबा जी कहते मैंने तो धेला नहीं बताना जो मिलूंगा अपनी करनी का मिलूंगा बाबा जी कहते मालिक ने हमें यहां भेजा है अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बाबा जी कहते हमें तो मांगने की आदत पड़ गुरु का मकसद यह नहीं होता कि एक चीज से निकाले एक गलतफहमी से निकाले और दूसरी में डाल दे गुरु का मकसद होता है कि सही दिशा दिखाना गुरु का धर्म होता है कि सभी भ्रमों से निकालकर हमें सच का रास्ता दिखाए तो बेटा मिलेगा तो अपनी करनी का ही मिलेगा तो साथ संगत जी यह थे कुछ सवाल जवाब जो मैंने आपके साथ शेयर करे जो जो मुझे पता थे तो साथ संगत जी radha swami ji
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