'नाम दान मंत्र, "NAAM DAAN MANTRA KAISE MILTA HAI" KYA HAI NAAM DAAN MANTRA,
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नाम दान मंत्र Naam Daan Mantra kaise milta hai aur kya hai |
'राधा स्वामी जी, "सतगुरु प्यारी साथ संगत जी 'नाम दान मंत्र, क्या होता है ? नामदान मंत्र एक ऐसी प्रक्रिया है जो की सतगुरु द्वारा अपने शिष्य को गुप्त रूप से दी जाती है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो गुरु और शिष्य के बीच की बात है, यह हर किसी को नहीं बताई जाती जो अभिलाषी को सतगुरु चाहते हैं, कि मैं इसे अपना शिष्य बनाऊं उसी को ही वह नाम का मंत्र देते हैं, हम अपनी मर्जी से गुरु नहीं बनाते बल्कि सतगुरु अपनी मर्जी से हमें शिष्य बनाते हैं, जब वह अपने शिष्य को यह गुप्त गुरु मंत्र देते हैं तो उसकी विधि के अनुसार जो शिष्य भक्ति में लग जात जाता है। उसे निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है अगर वह सतगुरु के कहे अनुसार नियम पूर्वक भक्ति में लग जाता है। उसे केवल भक्ति ही नहीं करनी होती बल्कि आम जीवन में कुछ नियम है जिनके अनुसार अपने जीवन को व्यतीत करना पड़ता है। नाम मंत्र लेने से ही मुक्ति नहीं बल्कि नाम मंत्र को अपने जीवन का जरूरी हिस्सा मानते हुए, उसकी कमाई में लगना और जीवन के कुछ खास पहलुओं पर ध्यान देते हुए, जीवन को व्यतीत करना अपनी सभी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाना यह सब इसी में ही आता है। क्योंकि एक अच्छा इंसान ही एक अच्छा शिष्य बन जाता है और एक अच्छा शिक्षा ही गुरु का दिया हुआ वह खास मंत्र जिसका अभ्यास कर कर वह मालिक से मिलकर उसका रूप बन सकता है। मालिक से मिलना मतलब मालिक जैसा बन जाना इसलिए मालिक के गुण तो बहुत बड़े हैं, इसलिए एक इंसान को भी अपने अंदर वैसे ही अच्छे गुण धारण करने पड़ते हैं, जिन पर चलते हुए धीरे-धीरे वह मालिक से जा मिलता है। जैसे एक छोटे से बीज में एक बहुत बड़ा पेड़ निकल आता है। उसी तरह हमारी जो आत्मा है यह मालिक की अंश है और यह बीज की तरह धीरे-धीरे अपनी तराक्की करती जाती है। जैसे जैसे एक शिष्य अपने सतगुरु का हुकुम मानता है। उसको अपने आप ही एहसास होने लगता है कि मैंने जो रास्ता चुना है मालिक के साथ मिलने का वह सही है, तो इसे कहते हैं असली, "नाम का मंत्र" और उसको जपने के फायदे।
FAQ-
प्रश्न:- नाम दान लेना क्यों जरूरी है
उत्तर:- संत जन खुद इस संसार से मुक्त होते हैं सिमरन के अभ्यास के कारण और उनके पास यह अनमोल दात नाम दान की मिलती है उनसे यह नामदान की अनमोल दौलत लेकर हम भी भवसागर से पार हो सकते हैं इसलिए नाम दान की जरूरत होती है।
प्रशन :-क्या खुद से पता किए गए नाम दान शब्दों से सिमरन करने से फायदा होता है।
उत्तर:- नहीं खुद से पता कर लेने से नाम दान के शब्दों का कोई फायदा नहीं होता, जिस तरह एक गोली को जब तक बंदूक में नहीं डाला जाता उसका उतना असर नहीं होता, इसी तरह संत जन जिनके पास नामदान की दौलत होती है उन्होंने कमाई की होती है, उनके द्वारा दिए जाने वाले शब्दों में खास समर्थक होती है।
प्रशन:- क्या नाम दान के लिए कोई खास उम्र निर्धारित की होती है
उत्तर:- यह निर्भर करता है हर अलग संस्थाओं के अलग नियम है। हर संत जन्म के अपने उसूल है कोई सतंजन उम्र के हिसाब से नाम दान की बख्शीश करते हैं और कोई सतंजन चाहे कोई भी उम्र निर्धारित कर नाम दे देते हैं ।
प्रशन:- राधा स्वामी नामदान के क्या रूल हैं।
उत्तर:- राधा स्वामी नाम दान के लिए बहुत सारी अलग-अलग संस्थाएं हैं, लेकिन जो बयास में बाबा जी के द्वारा नाम दान दिया जाता है, वहां नाम की पर्ची लेनी पड़ती है बाद में बाबा जी नाम दान देते हैं, पर्ची देने से भी पहले सत्संग सुनने होते हैं ताकि यह सोझी हो जाए कि हमें नाम दान क्यों लेना है, और इसके अलावा इसके लिए उम्र भी निर्धारित की गई है पुरुषों के लिए अलग महिलाओं के लिए अलग और जब नाम दान के लिए पर्ची लेने जाना होता है तब अपने उम्र के सर्टिफिकेट साथ लेकर जाना होता है,
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