एक व्यक्ति दूसरी बार पर्ची लेने गया तो बाबा जी ने पहचान लिया BABA JI KI SAKHI IN HINDI

एक व्यक्ति दूसरी बार पर्ची लेने गया तो बाबा जी ने पहचान लिया BABA JI KI SAKHI IN HINDI

        Baba Ji Ki Sakhi In Hindi

 

Baba ji ki sakhi in hindi | radha swami Satsang byaas
Baba ji ki sakhi in hindi | Sakhiyan








Maharaj Ji Ke Time Ki Sakhi-:

गुरु प्यारी "साध संगत जी, यह साखी महाराज जी के समय की साखी है।  महाराज जी के समय नाम दान के समय पहले जब पर्ची दी जाती थी। तो महाराज खुद नाम दान के लिए व्यक्तियों को सिलेक्ट किया करते थे।  कि किसको नाम देना है और किसको नहीं, तो इसी तरह से एक व्यक्ति भी जब महाराज जी के पास नाम दान लेने गया तो वह व्यक्ति शराब पिया करता था और जब वह नाम की पर्ची लेने के लिए बाबाजी के पास जाने वाला था। तो उसके पास कुछ शराब बची हुई थी लेकिन वह उस बची हुई शराब को इस सोच से घर में रख कर गया कि अगर नाम की पर्ची मिल गई, फिर तो नहीं पियूंगा अगर नहीं मिली पर्ची फिर आकर इसे पी लूंगा। जब वह महाराज जी के पास नाम की पर्ची लेने के लिए पहुंचा सभी लोग जो आगे लगे थे महाराज जी उनको देखकर इशारा कर रहे थे किसको पर्ची मिलनी है किसको नहीं,  

जब उस व्यक्ति का भी नंबर आया तो महाराज जी उसे क्या कहते हैं कि बेटा घर में जो बची हुई शराब रखकर आए हो पहले उसे भी खत्म कर लो फिर बाद में आना नाम की पर्ची लेने के लिए महाराज जी ने मुस्कुरा कर कहा, व्यक्ति तो बाहर आ गया लेकिन बाहर आकर बड़ी जोर जोर से रोने लगा,  तो सेवेदार ने उससे पूछा तो उसने सारी बात बताई तो सेवादार ने कहा बेटा महाराज ऐसे ही नहीं बैठे हैं यहां पर वह सब जानीजान हैं। तुमने ऐसी सोच से उस शराब को घर में नहीं रखना था अब ऐसे करना जब दूसरी बार आओ तो फिर कोई भी गलत सोच से मत आना। तो संगत जी फिर वह व्यक्ति कुछ टाइम बाद जब दोबारा महाराज जी ने नाम के लिए पर्चियां काटी तो वो व्यक्ति आया तो फिर महाराज जी ने मुस्कुरा कर कहा कि अब ठीक है अब सही आए हो। तो साथ संगत जी महाराज जानीजान थे। उन्हें सब मालूम था इतने टाइम बाद जब वह व्यक्ति आया तो देखते ही महाराज जी को उसके बारे में पता चल गया और जो उसने घर पर शराब रखी थी, महाराज जी ने उसे देखते ही उसे वही बात कह दी जो सोच लेकर गया था।  तो संगत जी संत ऐसे ही नहीं किसी को नाम दान दे देते, वह हर जीव को अच्छी तरह से देखते हैं जो काबिल होता है उससे ही नाम दान मिलता है तो सत्संग जी हमें भी नाम अगर मिल चुका है तो उसकी कदर करनी चाहिए ना कि उसको ऐसे ही समझना चाहिए और टाइम मिला कर लेते हैं टाइम नहीं मिला तो नहीं करते ऐसे नहीं होना चाहिए, संत महात्मा जो हुकुम करते हैं उनके हुकुम से ही सब होता है, आदेश से ही सब होता है, उनको ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं होती जितना कहा है उतना करने की कोशिश करनी चाहिए।


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