Radha soami ji ki sakhi | Baba ji sakhi | latest sakhi
प्रभु में विश्वास
प्रभु भोजन के लिए बैठे थे। एक दो कौर मुँह में लेते ही अचानक उठ खड़े हुए। बड़ी व्यग्रता से द्वार की तरफ भागे, फिर लौट आए उदास और भोजन करने लगे।
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Spiritual Thoughts आज का रूहानी विचार |
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आज का रूहानी विचार Spiritual Thoughts ANMOL SEWA |
प्रभु भोजन के लिए बैठे थे। एक दो कौर मुँह में लेते ही अचानक उठ खड़े हुए। बड़ी व्यग्रता से द्वार की तरफ भागे, फिर लौट आए उदास और भोजन करने लगे।
तभी भक्त ने पूछा," प्रभु,थाली छोड़कर इतनी तेजी से क्यों गये ? और इतनी उदासी लेकर क्यों लौट आये?"
प्रभु ने कहा, " मेरा एक प्यारा राजधानी से गुजर रहा है। नंगा फ़कीर है। इकतारे पर मेरे नाम की धुन बजाते हुए मस्ती में झूमते चला जा रहा है। लोग उसे पागल समझकर उसकी खिल्ली उड़ा रहे हैं। उस पर पत्थर फेंक रहे हैं। और वो है कि मेरा ही गुणगान किए जा रहा है। उसके माथे से खून टपक रहा है। वह असहाय है, इसलिए दौड़ना पड़ा "
" तो फिर लौट क्यों आये?"
प्रभु बोले, " मैं द्वार तक पहुँचा ही था कि उसने इकतारा नीचे फेंक दिया और पत्थर हाथ में उठा लिया। अब वह खुद ही उत्तर देने में तत्पर हो गया है। उसे अब मेरी जरूरत न रही। जरा रूक जाता, मेरे ऊपर पूर्ण विश्वास रखता तो मैं पहुँच गया होता !
यही पर आकर हम अपने भगवान् पर विश्वास खो देते है।भगवान् जरा सी परीक्षा लेते है और हम धैर्य नहीं रख पाते।इसलिए अपनी भक्ति को दृढ बनाना चाहिए !!
" तो फिर लौट क्यों आये?"
प्रभु बोले, " मैं द्वार तक पहुँचा ही था कि उसने इकतारा नीचे फेंक दिया और पत्थर हाथ में उठा लिया। अब वह खुद ही उत्तर देने में तत्पर हो गया है। उसे अब मेरी जरूरत न रही। जरा रूक जाता, मेरे ऊपर पूर्ण विश्वास रखता तो मैं पहुँच गया होता !
यही पर आकर हम अपने भगवान् पर विश्वास खो देते है।भगवान् जरा सी परीक्षा लेते है और हम धैर्य नहीं रख पाते।इसलिए अपनी भक्ति को दृढ बनाना चाहिए !!