बाबा जी का सत्संग गजल तुलसी साहिब |  RADHA SOAMI BABA JI KA SATSANG IN HINDI | SATSANG SHABAD KE BARE

बाबा जी का सत्संग गजल तुलसी साहिब | RADHA SOAMI BABA JI KA SATSANG IN HINDI | SATSANG SHABAD KE BARE

                                  SATSANG 


RADHA SOAMI SATSANG | BABA JI KA SATSANG
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BABA JI SATSANG BEAS HINDI 

Baba ji Satsang Schedule 2023 | बाबा जी सत्संग Schedule 2024 


गुरु प्यारी, ''साध संगत जी, बाबा जी अकसर इस तुलसी साहिब जी की गजल पर संतसंग फरमाते हैं  

''दिल को हुजरा साफ कर जाना के आने के लिए''

असल में तुलसी साहब ने यह गजल उस समय शेखतकी को समझाने के लिए बोली थी जब खुशकिस्मती से उनके पास आए थे । असल में शेखतकी एक सच्चे मुसलमान जिज्ञासु थे , जो कि मालिक की खोज में लगे हुए थे , उसकी मुलाकात तुलसी साहब के शिष्य से होती है तो तुलसी साहब का शिष्य उसे अपने मुर्शिद तुलसी साहब के पास जब लेकर आते हैं । तो तुलसी साहब ने फिर यह गजल शेख तकी को समझाने के लिए बोली थी । आप जीने शेख तकी को समझाने के लिए उन्हें के ही कुरान शरीफ से हवाले देकर समझाया । आप जी ने उनका धर्म नहीं बदलने की कोशिश की बल्कि उसे उस सच के बारे में समझाया जो कि हर संत महात्मा समझाते आया है । 


आप जी के समझाने का भाव है कि हम मालिक तो पाना चाहते हैं लेकिन जिस जगह पर मालिक बिठाने चाहते है उस जगह को साफ करना भी तो कितना जरूरी है । हमारे अंदर ना जाने कितनी ही इच्छाएं हैं । हमारा मन कितनी ही इच्छाओं से भरा पड़ा है इसलिए ही आपने शुरू में कहा कि दिल का हुजरा साफ कर , आपके कहने का भाव यही था , कि मालिक को अगर पाना है तो अपने अंदर से,  काम करोध हंकार ,मोह ,लोभ, जैसे सारे बुरे विकार दूर करने का प्रयास करो ।

आप जी ने कहा हमारे अंदर लाखों ह इच्छाएं हैं जिसको हम पूरा करना चाहते हैं आप जी ने फरमाया की इन इच्छाओं के कारण हम मालिक से दूर हैं आप जी ने कहा कि मालिक कहीं बाहर नहीं मालिक तो हम सबके अंदर है । लेकिन हम उसे बाहर ढूंढने में लगे हुए हैं फिर आप जी ने समझाया कि 


हे शेखतकी अगर तुम मालिक से मिलने का शौक रखते हो, तो पहले किसी कामिल मुर्शिद से मिलो और उनकी सत्संग में जाकर उनका सत्संग बड़े ही निमृता भाव से सुनो और फिर उनसे वह रास्ता खोजने के लिए उनसे वह नाम की दात लो जिसे लेकर तुम मालिक से मिल सकते हो मालिक 


कहीं बाहर नहीं है हम उसे अपने ही बनाए हुए हाथों से मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में ढूंढ रहे हैं । लेकिन जिसे खुद कुल मालिक ने हमारे शरीर को बनाया है , वह खुद भी तो इस जीते जागते मंदिर में बैठा हुआ है । लेकिन हम अपनी मैं के कारणवश उसे बाहर अपने ही हाथों से बनाए हुए स्थानों में ढूंढ रहे हैं वहां पर जाना मुबारक बात है लेकिन हम इस बात की गौर नहीं करते कि उन संत महात्माओं के स्थानों पर जहां पर हम जाते हैं यह शिक्षा भी लेनी चाहिए कि 


उन्होंने खुद कितनी कमाई करके अपने अंदर से ही मालिक को पहचाना । अगर उनको इतनी मेहनत करनी पड़ी तो क्या हमारा फिर फर्ज नहीं बनता कि हम भी उन्हीं की तरह ही मालिक की खोज करें ।  ना कि अपनी मनमर्जी का रास्ता अपनाकर । मालिक ने हम सब को बनाया है और बनाकर हम सबके अंदर बैठ गया है । 

 इसलिए हे शेखतकी किसी कामिल  मुर्शिद से मिलकर उनसे हिदायत लेकर , मालिक की भक्ति में लग जाओ यही एक सच्चा रस्ता है । वह मालिक तो हम सब को अंदर से ही पुकार रहा है ,लेकिन हम अनजाने में उसे पहचान नहीं पा रहे इसलिए पूरी गौर से सतगुरु का हुकुम मानो उनकी बात पर अमल करो अमल करने से ही तुम्हें उनका एहसास होगा इसलिए बिना वक्त गवाये अपने आपको मालिक की भक्ति में लगा दो ।

त तो गुरु प्यारी साध संगत जी इसी तरह सत्संग में शुरू से ही यही फरमाया गया कि अपने अंदर को साफ करो , अगर उस मालिक को पाना चाहते हो तो अपने अंदर इतनी इच्छाएं हैं , उनको दूर करो तभी वह मालिक तुम्हारे अंदर बैठेगा । अपने अंदर को साफ करो किसी कामिल सतगुरु से मिलो हमसे शिक्षा लो फिर नाम की कमाई में लगकर नाम की कमाई करेंगे । तभी हम उस मालिक को पा सकते हैं धार्मिक स्थानों पर भी जाना भी अच्छी बात है ।  वहां पर जाकर इस बात का भी विचार जरूर करो कि वहां पर जो संत महात्मा का स्थान है उस महात्मा ने भी खुद कमाई की है। इसलिए हमें भी कमाई करनी चाहिए ना कि सिर्फ कार्रवाई डाल कर आ जाना चाहिए बल्कि हमें अपने अंदर सच्ची शिक्षा को धारण करना चाहिए । सभी धर्मों का एक ही उपदेश है कि मालिक एक है और अपने सबके अंदर है भजन सिमरन करने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान भी बने ।

GUR KI MOORAT MAN MEIN DHEYAN

BABA JI KA SATSANG IN DERA

SATSANG BY BABA JI 

SATSANG BABA JI KA