RADHA SWAMI SAKHI BEAS | BABA JI KI SAKHI | RADHA SOAMI JI SAKHI | SAKHIYAN
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RADHA SOAMI SAKHI
गुरु प्यारी संगत जी, आज आपकी सेवा में बहुत ही सुंदर "राधा स्वामी साखी" सुनाने जा रहा हूं,
संगत जी यह बात उस समय की है, जब अस्पताल बनाने के लिए रेत की जरूरत पड़ी। तो सेवादार जब रेत लेने के लिए ट्रैक्टर ट्राली लेकर पास के गांव पर पड़ती जगह पर जब जाते हैं और रेत उठने लगते हैं, तो उसी गांव का व्यक्ति उन्हें रेत उठाने से मना कर देता है कहता है, यह जगहा मेरी है ।
तो सेवादार हाथ जोड़कर वहां से आगे एक और जगह पर जाते हैं तो वहां पर भी वही व्यक्ति आ जाता है और झगड़ा करने लगता है कि यह जगह भी मेरे रिश्तेदार की है यहां से भी रेट मत उठाइए ।
तो सेवादार वहां से भी हाथ जोड़कर शहर वापस आ जाते हैं और सेवादारों ने यह सारी बात महाराज जी को बताई ।
महाराज जी ने कहा कि आप किसी और जगहा से रेत ले आओ । महाराज जी के कहे मुताबिक किसी और जगहा से रेत लाई गई । हॉस्पिटल बन गया
जब काफी साल बीत गए । संगत जी वही वयकति एक बैड पर लेटे रो रहा था । सेवादारो के पूछने पर वह सारी बात बताता है। कि एक समय उसने किस तरहां से सेवादारो को रेत नही दी थी।
लेकिन जब मेरे ऊपर बुरा वक्त आया तो मुझे किसी ने नहीं संभाला बल्कि वही सेवादारों ने मेरी संभाल की है । इस अस्पताल ने मेरी संभाल की है। मैं इस बात को सोचकर रो रहा हूं कि मैंने वह कितनी बड़ी गलती की थी, मैंने एक ऐसे काम के लिए बाधा डाली जो की एक सेवा का काम था।
जो कि हर किसी के भले के लिए था। मैं बहुत गुनहागार बन गया। सेवा दारो ने प्यार सा समझाया कि गलती तो हर किसी से होती है आप कृपया ना रोएं । तो संगत जी कहते हैं, कि वह बाद में महाराज जी का सत्संग सुनने लगा और नाम भी उसको मिल गया, बड़ी ही फिर सेवा करने लग गया । संगत जी संत सतगुरु कभी भी किसी से झगड़ा नहीं करते संत सतगुरु तो प्रेम प्यार का रास्ता जानते हैं उनके प्रेम प्यार के रास्ते के आगे बड़े-बड़े झुक जाते हैं, और मालिक की भक्ति में लग जाते हैं। संगत जी आज की साखी में बस इतना ही था जी।
हमें भी सेवा के कार्य में कभी किसी तरहां की बाधा नहीं डालनी चाहिए।
सेवा तो बड़े ही ऊंचे भागों से मिलती है
संगत जी आपकी अपनी इस WEBSITE SUBSCRIBE भी करे जी
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