शरीर और आत्मा की खुराक
संतों ने हमे हमेशा से ही यही शिक्षा दी है कि हमे एक ना एक दिन इस दुनिया देश को यहा तक कि अपने इस शरीर को भी हमने छोड़ देना है।जिस तरहां इस दुनिया मे यहा का धन चलता है ठीक उसी तरह शरीर को छोड़ देने के बाद हमारी आत्मा को रूहानियत की दोलत की जरूरत पड़ती है। इसी लिये वह कहते है कि जीवन रहते रूहानियत की दौलत कमा लेनी चाहिये । जैसे शरीर की खुराक होती है उसी तरह से आत्मा की भी भजन सिमरन खुराक है जी।