सत्संग का विचार
अगर हम सत्संग सुनने तो गये मगर सत्संग के वचनों पर विचार नही किया तो सत्संग का फल अधूरा ही रह जाता है ।
क्योंकि जब हम वचनों पर विचार करते है तो हम उन सब बातो पर अमल करना शुरू करते है।
जब वचनों पर अमल होता है तो करनी करने से रूहानियत का फल मिलता है ।
इसलिए सत्संग सुनकर वचनों को बार - बार विचारना चाहिए जी ।
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