राधा स्वामी नाम कैसे मिलता है | नाम दान लेने के लिए जरूरी बाते क्या है | RADHA SOAMI NAAM KAISE MILTA HAI

राधा स्वामी नाम कैसे मिलता है | नाम दान लेने के लिए जरूरी बाते क्या है | RADHA SOAMI NAAM KAISE MILTA HAI

राधा स्वामी नाम कैसे मिलता है | राधा स्वामी नाम के लिए जरूरी बाते क्या है | RADHA SOAMI NAAM DAAN 

Radha soami naam daan kaise milta hai | baba ji se naam daan
Radha soami naam daan kaise milta hai | baba ji se naam daan


Baba ji se naam daan kaise milta hai

Kaha se radha soami naam milta hai


संगत जी वैसे तो नाम दान मालिक की दया मेहर से ही मिलता है। लेकिन फिर भी दुनिया दारी तरीके से हमें कुछ अपनी तरफ से जो कोशिशें करनी पड़ती है वह इस प्रकार हैं कि....

साध संगत, "वैसे तो राधा स्वामी की बहुत सारी संसथा या शाखाएं हैं। लेकिन जो राधा स्वामी बयास की संस्था है अगर वहां से नामदान लेना हो तो उसके लिए या तो डेरा ब्यास से या फिर इनके द्वारा  जैसे कि इनका डेरा दिल्ली में भी है और मुंबई में भी है और बहुत जगहों पर इनके डेरे बने हुए हैं।  जहां पर बाबाजी का हुक्म हो वहीं पर नाम दान के लिए पर्ची काटी जाती है। 

 इसके लिए कुछ और बातें हैं जो कि इस प्रकार हैं साध संगत जी, "नाम के लिए सबसे जरूरी बात यही है कि हर एक संस्था का नाम दिए जाने की जो प्रक्रिया होती है, वह अलग अलग होती है । लेकिन अगर हम राधास्वामी नाम दान व्यास की बात करें, तो यहां पर नाम दान लेने के लिए सबसे पहले सत्संग सुनने होते हैं, संतमत से संबंधित पुस्तकें पढ़ने होती हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि संतमत के बारे में कुछ समझ होनी चाहिए। कि हम क्यों नाम दान लेना चाहते हैं, ताकि हमें बाद में पछतावा करने की जरूरत ना हो बल्कि पहले से ही इस बात का एहसास हो कि हमने जो रास्ता चुना है, वह हमारे लिए सही भी है या नहीं और सत्संग सुनने के साथ-साथ सबसे जरूरी काम यह है, कि हमें मांस शराब आदि का सेवन नहीं करना होता, पुरुषों और महिलाओं की उम्र भी निर्धारित की हुई है, और जब हम नाम लेने के लिए जाते हैं, तो सबसे पहले वहां पर पर्ची के लिए हमें जाना पड़ता है, अपनी उम्र के जरूरी दस्तावेज साथ ले जाने पडते हैं और उनमें से भी कुछ को नाम के लिए चुना जाता है और कुछ को नहीं क्योंकि वहां पर पर्ची कटाते समय भी सेवादारों के द्वारा सवाल जवाब पूछे जाते हैं। और जो भाग्यशाली जीव जिनकी पर्ची काट दी जाती है। फिर कुछ दिन बाद उसको आगे नाम के लिए बाबाजी के पास जाना पड़ता है। दिए हुए समय के मुताबिक, तो साध संगत जी इसके बाद की प्रक्रिया तो हम आप से नहीं शेयर कर सकते उसके बाद तो बाबा जी नाम के लिए जो भी सबसे जरूरी बातें हैं, वह वही बताते हैं, साध संगत जी इस तरह हम नाम प्राप्त कर सकते हैं। बाबा जी हमेशा यही समझाते हैं कि नाम लेना तो अपनी इच्छा प्रकट करना है, अपनी इच्छा को आगे रखना है, लेकिन सबसे जरूरी काम है नाम लेकर भजन सिमरन की कमाई में लग जाना ।

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