BABA JI KA SATSANG PAROR 09 APRIL क्या फरमाया बाबा जी ने पूरा पढ़ें जी 👇
BABA JI KA SATSANG
BABA JI सत्संग में बानी ली तुलसी साहब की, ग़ज़ल के ऊपर सत्संग फरमाया दिल का हुजरा साफ कर जाना के आने के लिए , आप जीने सत्संग में फरमाया कि अगर हम अपने दिल में से सारियां बुराइयां खत्म कर देंगे काम क्रोध मोह लोभ हमारे मन के जो अवगुण है जब उनको अपने से दूर कर देंगे ,
तो हमें मालिक की प्राप्ति हो जाती है, हम मालिक को अपने घर में बिठाने के योग्य हो जाते हैं । जिस तरह अगर किसी ने हमारे घर आना हो तो हम घर के सारी साफ सफाई के काम करते हैं , उसी तरह मालिक जब हमारे घर में आना है तो हमारे अंदर की साफ सफाई से ही आएगा , जैसे हम साफ-सुथरे बर्तन में दूध डालते हैं उसी तरह हमारे अंदर को भी साफ करना होगा
फिर अगली कड़ी में आप ही ने समझाया की मालिक को पाने के लिए सतगुरु की जरूरत होती है किसी कामिल मुर्शिद का पल्ला हमें पकड़ना चाहिए उसके कहे मुताबिक जीवन को डालकर भजन सिमरन का अभ्यास करना चाहिए
फिर आपने ने फरमाया कि हम बाहर के मंदिर मस्जिद जाते हैं लेकिन वहां पर जाकर मत्था टेक कर, घंटी बजा कर वापस आ जाते हैं । लेकिन यह विचार नहीं करते कि उन महापुरुष ने कितनी भक्ति की है और अगर हमें भी सचमुच रूहानियत चाहिए तो हमें भी उनके जैसी भक्ति करनी होगी केवल मत्था टेकने से काम नहीं चलेगा, बाहर के धार्मिक स्थानों पर जाना मुबारक है और जाना भी चाहिए हमें उनसे सीख लेनी चाहिए, फिर आप जी ने समझाया कि मालिक को ढूंढने के लिए बाहर घर बार छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है जो कुछ मिलेगा घर में ही मिलेगा सब कुछ घर में बाहर जाए भ्रम बुलाए जो कुछ भी है सब
अंदर है मालिक ने जो देना था बहुत पहले दे दिया अब तो पहचान की जरूरत है, और पहचान हमें अपनी करने से आएगी बातों से बातें मिलती है । करने से करनी मिलती है । इसलिए साथ हमें भी अपनी करनी जाहिर करने चाहिए अभ्यास करना चाहिए , मालिक के गुण गाने चाहिए सतगुरु का कहा मान कर उसका पल्ला पकड़कर सिमरन भजन के अभ्यास में लग जाना चाहिए