 |
साखी स्वामी जी महाराज Radhasoamisakhi
|
Sakhi
एक बार एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र लगभग 5-6 साल की थी । वह रोज देखता कि उसकी मम्मी किस तरह से श्री गुरु महाराज जी को भोग लगाती है, उसके मन में आया कि आज से वह भी भोग लगाए गा , श्री गुरु महाराज का तो वह अपनी मम्मी से जिद करने लगा की मम्मी आज से मैं भोग जाऊंगा । उसकी मम्मी ने उसको मना किया कि तुम भोग नहीं लगवा सकते , तुम्हें भोग लगाना नहीं आता तुम श्री सवरूप
पर गिरा दोगे , तो बच्चे ने कहा मैं नहीं गिराऊगा उसने जिद में मम्मी से थाली ले ली तो , उसकी मम्मी वहा से चली गई । जब बच्चा अकेले में गुरु महाराज जी को भोग लगाने लगा तो कहने लगा कि लो भोग लगाओ , तो उसने भोग श्री स्वरूप के ऊपर गिरा दिया उसने साफ करने की कोशिश की मगर साफ नहीं हुआ तो वह अंदर श्री स्वरूप को वॉशरूम में ले गया और वहां पर नल खोल कर उसे साफ करने लगा । उस समय स्वामी जी श्री आनंदपुर साहिब में थे वहां पर बैठे-बैठे भीग रहे थे तो महात्मा जनों ने पूछा कि महाराज यह क्या लीला है तो स्वामी
जी महाराज जी ने फरमाया कि ईक साडा छोटा जया भगत है, पहला का सानू खिला रिया सी ते हुन सानू निला रिया है ।