How to make good Guru
गुरु प्यारी साध संगत जी एक सच्चा गुरु खोजना हमारे बस की बात नहीं होती यह तो कुल मालिक की दया मेहर से ही हो सकता है कि हमें एक पूर्ण सच्चा संत सतगुरु
मिल सके । आगर हमारे कर्मो मे पूरे गुरु से मिलना मालिक ने लिखा है तो पूरे गुरु से जरूर मेल होता है और सबसे बड़ी बात अगर पूरे गुरु की खोज करते करते चाहे सारी जिंदगी ही क्यों ना निकल जाए वह समय भी संत महात्मा कहते हैं व्यर्थ नहीं जाता क्योंकि गुरु की खोज करना भी परमार्थ में ही लगता है किसी ना किसी तरह यह अच्छे कर्म भी उसके लेखे में लिखे जाते हैं जब किसी को नाम मिलना
मालिक ने निश्चित किया होता है तो पूरे गुरु की उसे शरण प्राप्त हो ही जाती है गुरु चाहे कैसे भी उससे मिले चाहे गुरु खुद जाकर उसे नाम दान दे चाहे अपने शिष्य को किसी ना किसी बहाने अपने पास बुलाए, तो अपने आप ही गुरु से मिलकर मन खुश हो जाता है और मन नाम दान लेने को करता है जो सच्चा गुरु होता है वह कभी भी अपनी संगत का पैसा नहीं लेकर अपने ऊपर खर्च करता, वह संगत का पैसा संगत पर ही लगा देते हैं , पूरा गुरु सदा अपनी खुद की या अपने
घर की धन दौलत ही इस्तेमाल करते हैं , पूर्ण संत सतगुरु मंगता नहीं बल्कि दाता होता है वह तो खुद दाते देने वाला होता है ।