How to make good guru 


How to make good guru

गुरु प्यारी साध संगत जी सतगुरु को ढूंढना और सतगुरु से नाम दान लेना यह हमारे वश में नहीं होता सतगुरु तो अपनी मर्जी से अपने शिष्य को नाम दान की दात देते हैं अगर यह हमारे बस में होता तो हम कोई भी सतगुरु से खाली ना रहते यह तो मालिक का हुक्म होता है कि कब हमें पूरा सतगुरु मिलना है और कब उससे नाम दान की दात हमें मिलनी है यह तो कुल मालिक ने पहले से ही निश्चित किया होता है । वह तो एक बहाना ही बनता है कि हमें लगता है जैसे हमने सतगुरु से मिलाप किया और हमने ही सतगुरु से नाम लिया बल्कि यह तो सतगुरु की कृपा होती है कि वह हम पर दया मेहर कर कर हमें अपने पास बुलाते हैं और हम को नाम दान देते हैं पूरे सतगुरु के सत्संग में केवल और केवल परमात्मा के नाम की महिम ा की जाती है यह उसकी निशानी होती है और  सतगुरु अपनी खुद की कमाई पर अपना जीवन व्यतीत करता है ना की संगत के पैसे पर पूरा सतगुरु दाता होता है ना कि लेने वाला ।

पूरा सतगुरु बाहर मुखी साधनों से हमारे खयाल को हटाकर हमारे ख्याल को अंदर परमात्मा से जुड़ने का हुकम देते हैं ।