नाम लेने से पहले सत्संग क्यों सुनने को कहा जाता है । Naam Se Pehle Satsang kyo suna jata hai

नाम लेने से पहले सत्संग क्यों सुनने को कहा जाता है । Naam Se Pehle Satsang kyo suna jata hai

        नाम लेने से पहले सत्संग सुनने को क्यो कहां जाता है 

Naam se pehle Satsang Kyo Suna jata hai

साध संगत जी नाम दान लेने से पहले संत सतगुरु अक्सर सत्संग सुनने को कहते हैं या फिर नाम लेने से पहले यह पूछा जाता है कि आपने कितने सत्संग सुने । यह सब इसलिए कहा जाता है या फिर पूछा जाता है ताकि जिज्ञासु जब नाम लेता है उसके बाद भी उसके मन में कई सवाल पैदा हो सकते हैं कई प्रशन होते हैं । इसलिए संत महात्मा हमेशा समझाते हैं कि नाम दान लेने से पहले अपने शक शंकाएं पूरी तरह से सत्संग सुनकर दूर कर लेने चाहिए । अगर कोई मन में सवाल हो तो उसकी पूरी तरह पड़ताल कर लेनी चाहिए ,  सत्संग सुनने के बाद लगभग हर किसी को अपने मन में उठे सवालों का जवाब मिल जाता है । तो फिर उनका आगे का जो रसता है नाम दान लेने के बाद वह और भी ज्यादा आसान हो जाता है । अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसके मन में कई प्रकार के सवाल जवाब चलते रहते हैं जिस कारण वर्ष वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता  । इसीलिए हमेशा संत मत से संबंधित पुस्तकें पढ़नी चाहिए । ताकि मन में उठे उनके सवालों के जवाब उन्हें मिल सके । इसलिये संत उपदेश देते हैं कि नाम दान लेने से पहले सत्संग सुनने चाहिए ।