अगर परमात्मा की खोज करनी है तो पहले हमें यह काम करना होगा ताकि हम परमात्मा की खोज के काबिल बन सके

अगर परमात्मा की खोज करनी है तो पहले हमें यह काम करना होगा ताकि हम परमात्मा की खोज के काबिल बन सके

 सतगुरु प्यारी साध संगत जी जीवन एक बहुत ही अनमोल दात है सतगुरु की कृपा से यह दात मिलती है, संगत जी हमारे जीवन में सबसे बड़ा जो मकसद है वह है अपने आपकी पहचान के काबिल बनना, हम अपने आपकी पहचान के काबिल किस तरह से बन सकते हैं यह गंभीरता से सोचने वाला एक प्रश्न है , हमें अपने आप की पहचान करनी होगी अपनी आत्मा की पहचान करनी होगी तो हमें किसी ऐसे महापुरुष की जरूरत होगी जो हमारे इस प्रश्न का उत्तर दे सके जो हमें प्यार के साथ समझा-बुझाकर उसका एहसास करा सके इसीलिए संत महात्माओं ने हमें शिक्षा दी है कि इस काम के लिए हमें किसी पूर्ण संत सतगुरु की खोज करनी चाहिए ताकि वह हमारे इन प्रश्नों का उत्तर दे सके संगत जी इसी विचार को लिए जब हम सतगुरु के पास जाते हैं तो सतगुरु इसका समाधान करते हुए हमें नाम शब्द देते हैं कि आप इनका सिमरन करो वह सिमरन सिर्फ टाइम पास करने के लिए नहीं नहीं देते , सिमरन इसलिए देते हैं ताकि हम उसका अभ्यास करें और उस अभ्यास के जरिए इस बात का इस बात  का एहसास करें कि असल में हम आत्माएं हैं और जब इस बात का एहसास होता है उससे सतगुरु पर और परमात्मा पर भी और विश्वास दृढ़ होता जाता है । इसी तरह संत महात्मा कहते हैं कि पहले अपने आप की पहचान करो , तभी हम परमात्मा की पहचान के काबिल बन सकते हैं अगर हम अपने आप की पहचान ही नहीं करेंगे तो फिर परमात्मा की पहचान कैसे कर सकते हैं साध 


संगत जी आज के विचार में बस इतना ही फिर मिलेंगे एक नए विचार के साथ