संत महात्माओं की बताई गई रूहानी शिक्षा को अपनाकर ही हम अपने दुखों चिंताओं से ऊपर उठकर आत्मा की ऊंची अवस्था प्राप्त करने की हम मे शक्ति आ जाती है ऐसी अवस्था को प्राप्त करने के लिए शरीर रूपी मंदिर की दहलीज के पार जाना पड़ता है । इस हद को पार करने का तरीका बाहर फैले हुए ध्यान को इकट्ठा करके तीसरे तिल में स्थिर करना पड़ता है । ध्यान अपने ख्याल को सिमरन के द्वारा इकट्ठा किया जाता है । जिसकी हमें कि कुदरती तौर पर आदत पड़ी हुई है ।
सिमरन से धीरे-धीरे हमारा ध्यान शरीर में से समेटकर आंखों के केंद्र पर इकट्ठा करना है इससे हमारी आत्मा को ऐसी ऊंची अवस्था मिलती है जिसके बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते इसी प्रकार धीरे-धीरे भजन सिमरन लगातार करते रहने से ऊंची अवस्था प्राप्त हो जाती है और आत्मा को दुखों तकलीफों से ऊपर उठने की शक्ति मिल जाती है ।