राधा स्वामी जी साखी |बाबा जी की नई साखी सेवादार ने हिम्मत करके बताया डेरे के अन्दर का सच्च
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RADHA SOAMI SAKHI |
RADHA SOAMI JI KI SAKHI | BABA JI KI LATEST SAKHI 2023-2024
..साध संगत जी, "डेरे में सेवा करने वाले एक सेवादार ने" एक सच का खुलासा करते हुए बताया, सेवादार पहले लिखते हैं कि पहले तो उनकी यह सच बताने की हिम्मत ही नहीं हुई , क्योंकि वह कुछ शर्म महसूस करता था । संगत जी सेवादार बताते हुए लिखते हैं कि शुरू में जब वह डेरे जाया करता उसे जो भी सेवा मिलती सतगुरु का
बड़ा ही शुकराना किया करता, चाहे वह सेवा लंगर की हो चाहे पौधों को पानी डालने की , चाहे झाड़ू लगाने की चाहे खेतों की चाहे कनटीन की सेवा हो , सेवा करते करते सतगुरु का शुकराना करते हुए कभी ना थकता और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते , जब लंगर खाने जाता सतगुरु का शुकराना करते हुए उसकी आंखों से आंसू आने लगते , भजन सिमरन बड़ा ही करता और भजन सिमरन कर कर बड़ा ही आनंद आया करता , लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उसकी सेवा पक्की होती चली गई और 1 दिन ऐसा आया कि उसको डेरे में पक्की सेवा करने का बेच दे दिया गया और फोन रखने की इजाजत मिल गई , डेरे में कार लेकर आने की भी इजाजत मिल गई और संगत जी सेवादार बताते हैं कि उसको पता ही नहीं चला कि उसमें कब मैं मेरी का बोलबाला होने लगा , संगत पर उसे कभी-कभी गुस्सा
आने लगा और उसकी आंखों से जो सतगुरु का शुक्र करते हुए आंसू आते थे वह आने बंद हो गए और लंगर खाते वक्त जो खुशी की धारा बहा करती थी , वह बंद हो गई भजन सिमरन करते समय जो आनंद आता था वह बंद हो गया , वह हमें इसका कारण बताते हुए समझाते हैं , कि उसने अपने इस कारण का
पता ढूंढने की जब कोशिश की , तो उसे पता चलता है कि उसके अंदर तो मैं मेरी का बोलबाला हो गया है, उसको हंकार हो गया था, जिसकी वजह से यह सब होना बंद हो गया था , उस दिन के बाद उसने अपनी मैं मेरी और हंकार को दूर किया , तब कहीं जाकर वही अवस्था प्रेम प्यार वाली प्राप्त हो गई , संगत जी सेवादार बताते हैं कि सेवा का आनंद जो निम्रता में है , जो छोटे पन में है वह किसी और में मिल ही नहीं सकती, चाहे आप जितना मर्जी बड़ा हो जाओ लेकिन अपने आपको हमेशा छोटा ही समझो, मैंने यह गलती कि अपने
मन में यह विचार करता कि मैं बड़ा सेवादार बन गया , यही विचार ने मुझमें हंकार पैदा किया । लेकिन जब मैंने सोचा कि मैं एक सतगुरु का सेवादार हूं , मुझे हंकार नही करना चाहिए , सेवा हम अपने लिये करते है , ताकि हम अच्छा इन्सान बन सके , किसी दिखावे के लिए नही कि मै सेवादार हू , जब मैंने अच्छे गुण धारण किये तो मेरी दोबारा से वही सतगुरु के प्रति प्रेम भाव वाली स्थिति प्राप्त होने लगी । साध संगत जी आज की सच्ची साखी में बस इतना ही जी ।
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