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यह दुनिया आज तक न कभी सुखों की नगरी बनी है न कभी बन ही सकती है । आज हम इतिहास पढ़ते है तो पता चलता है कि दुनिया मे लड़ाई-झगड़े, सुख-दुःख, अमीरी गरीबी हमेशा से चली आ रही है । हर कौम , मज़हब, मुल्क और वक्त के अंदर उच्च कोटि के महात्मा और बड़े बड़े दानी और परोपकारी आये है, फिर भी इसकी हालत पहले से कोई बेहतर नही हुई और न ही कभी हो सकती है। अगर सन्त-महात्माओ का मक़सद इस दुनिया को स्वर्ग या सुख की नगरी बनाने का होता, तो आज तक यह दुनिया जरूर सुखों की नगरी बन जानी होनी चाहिए थी। बल्कि वे तो हमे ऐसा साधन और तरीका बताते है जिस पर चलकर हम हमेशा के लिए इस देह के बंधनों से मुक्त हो जाये और फिर इस दुनिया मे ही न आये। दुनिया के काँटे इकठे करने मे आज तक किसी ने सफलता हासिल नही की और न ही कोई कर सकता है । लेकिन अगर हम अपने पैरों में मज़बूत जूते पहन लें तो काँटे अपना असर नही कर सकते। दुनिया की समस्याएँ न आज तक किसी ने हल की है न ही कोई हमेशा के लिए कर सकता है । लेकिन महात्माओ के उपदेश पर चलकर हम अपने ख्याल को इतना ऊँचा ले जा सकते है कि दुनिया के सुख दुःख की समस्याएँ हम पर असर नही कर सकती ।🌻🌻🌻🌻🌻