गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक ऐसी महिला की है जोकि डेरा ब्यास में अपनी बेटी के साथ सत्संग सुनने के लिए जाती है और यह बात महाराज बाबा चरण सिंह जी के समय की है, जब वह महिला डेरा ब्यास में चली जाती है तो उस बेचारी के पास पैसे बहुत कम होते हैं, डेरा ब्यास तो चली जाती है सत्संग
सुनने की उम्मीद के साथ लेकिन जब वह घर वापस आना चाहती है, तो उसके पास पैसे बहुत कम रह जाते हैं, बिचरी के पास बस के किराए के लिए भी पैसे नहीं बचते लेकिन बाबा जी की दया मेहर से वह किसी न किसी तरहा से घर पहुंच ही जाती है और जिस बस पर वह आती है उसे उसी बस पर ही अपने कोई खास जान पहचान वाले मिल जाते हैं जो कि उनका किराया अदा कर देते हैं
और लेकिन जो उसका पति होता है उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी वह ट्रक ड्राइवर था और वह ट्रक चलाया करता था वह अपना ट्रक लेकर कहीं बाहर सामान लेकर गया होता है, वह ट्रक
![]() |
RADHA SOAMI SAKHI ANMOL SAKHIYAN ANMOL SAKHI SEWA Beas ki sakhi dera sakhi |
ड्राइवर भी एक सेवादार ही था, बाबा जी की बहुत सेवा किया करता था । लेकिन अपनी पत्नी को पैसे बहुत कम देकर आया करता था । एक दिन रात को वही उसको सोते हुए सपने में महाराज जी आते हैं और उसे कहते हैं कि मैंने तुम्हें पैसों की कोई कमी नहीं छोड़ी तुम्हारे पास खूब बरकत है तुम अपनी पत्नी को कुछ पैसे देकर घर आया करो , वह डेरा ब्यास गई थी उसके पास पैसे खत्म हो गए थे, साध संगत जी वह जब घर आता है तो आते ही अपनी पत्नी से पूछता है
क्या वह ब्यास में गई थी उसकी पत्नी कहती है हां वह ब्यास गई थी लेकिन उसको यह बात कैसे पता चली तो उसने सारी बात समझाई की महाराज उसके सपने में आए और उन्होंने बताया कि तुम्हारी पत्नी के पास पैसे कम थे , तो उसे पैसे देकर आया करो, साथ संगत जी वह औरत खुशी के मारे रोने लगी कि बाबा जी उनकी तो दिन रात देखभाल कर रहे हैं, उन्हें तो हर बात का पता है उनका विश्वास और भी ज्यादा पक्का हो गया ,वह दोनों खूब भजन सिमरन करने लगे और डेरा तो वह पहले से ही जाया करते थे
साथ संगत जी सतगुरु हमेशा हमारे संग संग है हमारी दिन-रात देखभाल कर रहे हैं, लेकिन कई बार इस बात का हमें एहसास होता है तो कई बार इस बात का एहसास नहीं होता हमें अपने सतगुरु पर पूरा पक्का भरोसा रखना चाहिए या फिर भरोसा करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं ।