साध संगत जी जिस पर सतगुरु खुश हो जाए उस पर फिर कुल मालिक, पूरी की पूरी कायनात, भी खुश हो जाती है और जिस पर सतगुरु खुश नहीं उस पर चाहे सभी खुश हो लेकिन वह तब भी वह सच्ची खुशी का हकदार नहीं बन सकता जो उसे अंदर से महसूस होती है । सतगुरु की सच्ची खुशी प्राप्त करने के लिए हमें चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े, हमें हर वह संभव कोशिश करनी चाहिए जिसके जरिए हम अपने प्यारे सतगुरु का प्यार प्राप्त कर सकें जब सतगुरु खुश हो जाते हैं तो हमें वह सच्ची खुशी का एहसास होगा, जिसका सतगुरु अक्सर हमें उदाहरण देते रहते हैं, सतगुरु जो भी हमें समझाते हैं अगर हम उसका पालन करेंगे उनके कहने के मुताबिक अगर हम अपना भजन सिमरन का अभ्यास करेंगे अपने जीवन को जिएंगे, हर रोज के जीवन में सतगुरु के द्वारा बताई गई बातों का अगर हम ध्यान रखेंगे तो यकीनन सतगुरु हम पर खुश हो जाएंगे, अगर सतगुरु हम पर खुश हो जाएं तो फिर धर्म राय भी नहीं हमें पूछता और ना ही उसके यमदूत हमारा कुछ बिगड़ेंगे । सतगुरु की सच्ची खुशी प्राप्त करने के लिए, हमें अच्छे सत्संगी, बनने के लिए सतगुरु के हुक्म का सदा पालन करना चाहिए।
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सतगुरु के हुक्म का पालन |