मालिक हमें खोजता है यह हम मालिक को





कुल मालिक से मेल उसकी अपनी मर्जी से हो सकता हमारी मर्जी से नही हम तो उस के आगे अरदास ही कर सकते है । इसी तरहां गुरु से मिलाप भी मालिक की दया से ही होगा उसकी दया से ही सत्संग मे जाते है फिर दया हो तो नाम मिलता है और फिर नाम की कमाई मे लगते है । मालिक की दया भी मालिक की तरहां बेअंत है । जब चाहे किसी को भी अपने पास बिठा सकता अपना रूप बनाकर ।

यही तो प्यारे कुल मालिक की खासियत है 🙏🙏