गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी की एक ऐसे व्यक्ति की है जो डेरा ब्यास में नाम दान लेने के लिए गया लेकिन वह शराब पिया करता था और जब वह डेरा ब्यास में नाम दान लेने के लिए गया तो उसने दारु घर में रखकर यह विचार किया कि अगर नाम दान मिल गया फिर तो दारू छोड़ देगा, शराब पीनी छोड़ देगा अगर उसे नामदान नहीं मिला तो घर में आकर फिर वह रखी शराब को पीऐगा जब वह महाराज जी के पास नाम दान लेने पहुंचा, लाइन में लगा हुआ, जब धीरे-धीरे कर उसका नंबर आया तो
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Baba Ji Maharaj Ji Ke Sakhi Radha Soami Sakhi |
महाराज जी के पास पहुंचा तो महाराज जी ने उसे कहा कि बेटा जो शराब तुम घर में रख कर आए हो पहले उसे खत्म कर लो फिर बाद में यहां आकर नामदान लेने आजाना । साध संगत जी सतगुरु जानी जान होते हैं वह व्यक्ति हैरान रह गया कि जिस नीयत से आया था । महाराज जी को उसकी नीयत के बारे में पता चल गया । उस व्यक्ति ने बताया कि वह बहुत पछताने लगा उसने कहा कि वह एक बार दोबारा फिर से महाराज जी के पास नाम दान लेने के लिए गया लेकिन इस बार वह घर में शराब रखकर नहीं गया ,
बल्कि पूरी श्रद्धा से गया, तो महाराज जी ने दोबारा जब वह नाम दान लेने पहुंचा, तो महाराज जी ने उसे कहा कि अब की बार ठीक है, साध संगत जी उसे नाम दान मिल गया यह होती है सतगुरु की दया मेहर सतगुरु सब जानी जाना होते हैं ।